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Showing posts from 2015

रुबाईयाँ, शायरी और एक गुजरा साल

आँखियां भी अब निंदियारी हैं , रात के इस घुप्प अँधेरे में। लेकिन सपने जाग रहे हैं , नयी कहानियाँ लिखने नए सबेरे से। *** वे हमारे टूट कर बिखरने का इंतज़ार करते रहे , हम जितनी बार टूटे और मजबूत होते गए। *** उजाले में तो सब साथ होते हैं , कद से बड़ी परछाइयाँ होती हैं... अंधेरे में तो साथ भी नहीं दिखता , खुद के हाथों से रुसवाईया होती हैं। *** चलती साँसों की अठखेली है जिंदगी , मुहब्बत तो यूँ ही बदनाम हो जाती है। *** सच्चा प्यार तो एक स्वयंसिद्ध प्रमेय है , शर्तों और स्वार्थों की सीमाओं से अजेय है। *** रात के अँधेरे में जो न साथ रह सका , वो भरी दोपहरी में छांव मांगता है... *** वक़्त बहुत कम हो गया है लोगों के पास , सबका हिसाब हाथों - हाथ होना चाहिए। ~ अमित श्रीवास्तव  (C) (सर्वाधिकार सुरक्षित)

दिल्ली का कुरुक्षेत्र।

प्रधानमंत्री Narendra Modi को नीचा दिखाने के लिए केजरीवाल की कौरव सेना में एक-दूसरे के धुर-विरोधी भी एक साथ खड़े हैं। जैसे कि TMC-CPM, SFI-AISA, JDU-JDS. और कुछ अवसरवादी मित्र जैसे की लालू की RJD और मुलायम की SP भी आम आदमी पार्टी के साथ हैं। ओवैसी और बुखारी ने भी केजरी-कौरव सेना पर दाँव ठोका है। दूसरी ओर देश की प्रथम महिला IPS के नेतृत्व में BJP का साथ देने वालों में JP की लोकसत्ता पार्टी ही एक मात्र है। मुझे पूरा विश्वास है कि कुरुक्षेत्र कि इस लड़ाई में सत्य की ही विजय होगी। दुर्योधन एक बार फिर मैदान से भागेगा। कल BJP के कमल निशान पर वोट देने अवश्य जाएँ, लोकतन्त्र के इस महायुद्ध में कृष्ण और अर्जुन मतदाता ही हैं।

THE BOOK of this HOUR!

Recently, everyone seems to be writing a book - with their dark fantasies about sex and other tempting sins, or some fake strange stories from the noted campuses. All this 'book-rush' made 'book-market' full of literally crass stories aimed at instant success and fame. Amidst all cacophony of sex-cum-love stories, a serious admirer of literature that could present a realistic facets of the society, could easily become disheartened. But thanks to Social Media, specially my huge twitter follower list, I came to know about this book  'RI - Homeland of Uncertainty -THE BOOK' and its writer Paulami DuttaGupta. Frankly speaking, I came to knew about the book first, as an award winning Khasi movie , is based on it. 'Ri – Homeland of Uncertainty' (2013), was awarded as the best Khasi film in the 61st National Film Awards. Later, through the author, I was lucky enough to get a copy of the book.   Book Details: Title: Ri Homeland of Uncertainty A

ये कहाँ आ गए हम यूँ ही चलते चलते।

जमाना हो गया जमाने को देखते देखते,  कभी दिन ढलते, कभी मौसम बदलते...  किन-किनका का बोझ लिए जिया जाये, जिंदगी भी थकी जाती हैं यूँ चलते चलते।  कल आने का एहसास भी अब खास नहीं,  बहुत दिन हो गए, यूँ आज को ढलते-ढलते। सर्द मौसम का असर है न, बसंत का इंतज़ार,  अब बरसों हो गए मौसम बदलते-बदलते।  सब रंगो कर रस अब ऐसे ही जान लेते हैं,  ये कहाँ आ गए हम यूँ ही चलते चलते।   कई रंग देखे लोगों के ऐसे ही मिलते मिलते,  कभी साथ साथ चलते, कभी बगल से निकलते... ~ अमित श्रीवास्तव, 5 जनवरी 2015 लखनऊ, भारत।