शायद मैंने तुम्हे बताया था कि system के खिलाफ लड़ने कि सनक मुझे पहले से ही थी। लेकिन अर्जुन सिंह और कांग्रेस के आरक्षण वाले फरमान ने सबको झकझोर दिया। पैसे वाले लोगों को कम नंबर पर ही admission मिलने वाला था और बाकियों को अधिक नंबर लाने के बाद भी गली का धुल फांकने को मजबूर किया जा रहा था। गुस्सा आना स्वाभाविक ही था। फिर हम लोगों के पास आन्दोलन के अलावा कोई चारा भी नहीं था। वे बहुत महत्वपूर्ण दिन थे जब हम साथ साथ हवालात गए , water cannon की मार सहे। हजारों लोग साथ थे , सबको गुस्सा था , सब में आक्रोश था। किन्तु समय बीता , सब अपनी अपनी राह में चले ... कुछ विदेश गए। कुछ ने MNCs की नौकरी पकड़ी। किन्तु तुम और तुम्हारे जैसे दीवानों ने तमाम बाधाओं के बावजूद जंग को जारी रखा। कौन जाता है बिहार में बाढ़ आती है तो , किसको पड़ी है अगर नेता लोग अपराधी हैं ... ये हमारा दीवानापन ही था हर्ष , की हम लोग की लड़ाई Youth For Equality के माध्यम से सालों तक चलती रह...
...Coming across different shades of life, compels to think in more colours... dream in many worlds! So, my posts reflect that departure n variation! एक विद्रोही की यात्रा...