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Showing posts with the label जुनून

Dil Kya Chahata Hai...

मर्ज़ भी है पता और दवा भी मालूम है, फिर भी ये दर्द पलना चाहता है। बड़ा नादाँ है ये दिल, ग़म की आग   चाहता है। नादानियों के बिना जिंदगी मुकम्मल कहाँ बड़े शिद्दत से नाकामियों की ओर  चलना चाहता है। लोग सयाने हो गए, रिश्तो का हिसाब लगते हैं कोई गिला नहीं दुनिया से, बस अपनापन बदलना चाहता है। बड़ा नादाँ है ये दिल, अपने ही ढंग में ढलना चाहता है। Marz bhi hai pata aur dawa bhi malum hai... Fir bhi ye dard palna chahta hai.. Bada nadan hai ye dil, Gam ki aag main jalna chahata hai... Nadaniyo ke bina jindagi mukkammal kaha, Bade siddat se nakamiyo ki oor chalna chahta hai... Log sayane ho gaye, Risto ka hisab lagate hain... Koi gila nahi duniya se bas apnapan badlna chahta hai, Bada nadan hai ye dil, Apane hi dhang mein dhalna chahata hai... (Ghazal Composed on 23 Nov 2012, by my introspective blues... ) Sent from BlackBerry® on Airtel

अलविदा डॉ. हर्ष!

शायद मैंने तुम्हे बताया था कि system के खिलाफ लड़ने कि सनक मुझे पहले से ही थी। लेकिन अर्जुन सिंह और कांग्रेस के आरक्षण वाले फरमान ने सबको झकझोर दिया। पैसे वाले लोगों को कम नंबर पर ही admission मिलने वाला था और बाकियों को अधिक नंबर लाने के बाद भी गली का धुल फांकने को मजबूर किया जा रहा था। गुस्सा आना स्वाभाविक ही था। फिर हम लोगों के पास आन्दोलन के अलावा कोई चारा भी नहीं था। वे बहुत महत्वपूर्ण दिन थे जब हम साथ साथ हवालात गए , water cannon की मार सहे। हजारों लोग साथ थे , सबको गुस्सा था , सब में आक्रोश था। किन्तु समय बीता , सब अपनी अपनी राह में चले ... कुछ विदेश गए। कुछ ने MNCs की नौकरी पकड़ी। किन्तु तुम और तुम्हारे जैसे दीवानों ने तमाम बाधाओं के बावजूद जंग को जारी रखा। कौन जाता है बिहार में बाढ़ आती है तो , किसको पड़ी है अगर नेता लोग अपराधी हैं ... ये हमारा दीवानापन ही था हर्ष , की हम लोग की लड़ाई Youth For Equality के माध्यम से सालों तक चलती रह...

जुनून की तलाश में...

पांव जकड़ गए हैं , और रास्ते खो गए , इंतेज़ार की राह में , कयामत की आश में . हूँ मैं फिर से उस जुनून की तलाश में , कभी इस चाह में , कभी उस आश में .