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Showing posts with the label हाइकु

आज हाइकू लिख रहा हूँ।

मुखौटे पहने लोग, खोजते अपनी खुशियाँ, शख्सियत से बड़ी परछाइयाँ। *** मैंने नेह निचोड़ा इसमें, गागर में सागर भर लाया, हर चितवन में तुमको पाया। *** शरदीय चंद्र की शीतलता में,  निशा की गहरी व्याकुलता में, मन-मंदिर में किसकी काया! *** वास्तविकता एक भ्रम या सत्य, सत्य एक कल्पना या अर्थ, अर्थ एक मूर्त या निरंकार।  ... १२ दिसम्बर २०१२, लखनऊ