मुखौटे पहने लोग, खोजते अपनी खुशियाँ, शख्सियत से बड़ी परछाइयाँ। *** मैंने नेह निचोड़ा इसमें, गागर में सागर भर लाया, हर चितवन में तुमको पाया। *** शरदीय चंद्र की शीतलता में, निशा की गहरी व्याकुलता में, मन-मंदिर में किसकी काया! *** वास्तविकता एक भ्रम या सत्य, सत्य एक कल्पना या अर्थ, अर्थ एक मूर्त या निरंकार। ... १२ दिसम्बर २०१२, लखनऊ
...Coming across different shades of life, compels to think in more colours... dream in many worlds! So, my posts reflect that departure n variation! एक विद्रोही की यात्रा...