हम आजाद तो हो गए, लेकिन लूट बदस्तूर जारी है. पहले अंग्रेजों ने लूटा, आज हिन्दुस्तानी ही लूट रहे हैं, जब विश्वविजयी हार गए हमारे आगे, तुम टट्टुओं की औकात क्या है. जिस दिन हमें इन अपने घर वाले लुटेरों से आज़ादी मिल जाएगी, तब जाकर हम आज़ाद होंगे. किस खुशफ़हमी में आप जी रहे हैं. अगर आज़ादी का मतलब तिरंगा है, कम से कम उसका तो अपमान न करो यूँ लाल किले पर फहराकर लुटेरों के हाथों उसे सरे आम न करो.
...Coming across different shades of life, compels to think in more colours... dream in many worlds! So, my posts reflect that departure n variation! एक विद्रोही की यात्रा...