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Showing posts from March, 2011

दस्तकों का अब किवाड़ों पर असर होगा ज़रूर

अब किसी को भी नज़र आती न कोई दरार घर की हर दीवार पर चिपके हैं इतने इश्तहार रोज़ अखबारों में पढ़कर यह ख़्याल आया हमें इस तरफ़ आती तो हम भी देखते फ़स्ले—बहार मैं बहुत कुछ सोचता रहता हूँ पर कहता नहीं बोलना भी है मना सच बोलना तो दरकिनार इस सिरे से उस सिरे तक सब शरीके—जुर्म हैं आदमी या तो ज़मानत पर रिहा है या फ़रार दस्तकों का अब किवाड़ों पर असर होगा ज़रूर हर हथेली ख़ून से तर और ज़्यादा बेक़रार                                      -   दुष्यंत कुमार  दुष्यंत  कुमार की यह रचना आज की परिस्थिति के सटीक तरीके से बताती है.  हर जगह झूठ, भ्रष्टाचार और हरामखोरी का आलम है. चोरी भी करते हैं और अपने आप को सही भी ठहराते हैं लोग. उच्चवर्ग उनके साथ है, कोई क्या बिगाड़ लेगा. लेकिन शायद उन्हें यह पता होना चाहिए, कि अब अति हो गयी है...  "दस्तकों का अब किवाड़ों पर असर होगा ज़रूर हर हथेली ख़ून से तर और ज़्यादा बेक़रार "

होली के त्यौहार की बहुत सारी शुभ कामनाएँ

होली बंसत के उल्लास का त्यौहार   है।  रंगों, गुलालों और उत्साह के साथ साथ यह नए वर्ष का शुभारंभ भी है| होली के त्यौहार की बहुत सारी शुभ कामनाएँ| हास्य विनोद के साथ जब गांवों में जोगीरा गया जाता है तो प्रतिभा रंजित  रचनात्मकता देखने को मिलती है. एक जोगीरा इस प्रकार से है: जोगीरा सा रा रा रा... गंगा जी के घाट के घाट पर मिला एक इंसान पूछा उसका नाम तो बोला मैं हूं हिन्दुस्तान कटोरा लिए खड़ा था... जोगीरा सा रा रा रा... कोका कोला पेप्सी कोला तरह तरह का कोला पर पीने का पानी गायब जब भी नलका खोला मिली एक बूंद नहीं... जोगीरा सा रा रा रा... नई शिक्षा नीति का नया बना कानून नेता जी के पोते, पढ़ने जाएं देहरादून बाकी सब भैंस चरावैं... जोगीरा सा रा रा रा...