भारत के सारे नौजवान प्रातः उठकर राष्ट्र का गणतन्त्र दिवस माना रहे थे, प्रभात फेरियाँ निकाल रहे थे, तिरंगा यात्रा चला रहे थे… ठीक उसी समय उत्तर प्रदेश के कासगंज में 16 के किशोर चन्दन गुप्ता की गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की कड़े शब्दों में निंदा होनी चाहिए थी, समाज के सभी वर्गो द्वारा इसकी निंदा होनी चाहिए थी। लेकिन अपने आप को सेकुलर कहने वाले पत्रकारों के मामले को ट्विस्ट देना शुरू कर दिया। चूंकि समाचार फैलाने का सारा तंत्र इन्ही के हाथ में है, कुछ ही घंटों में कुछ जाने माने पत्रकार चन्दन की हत्या को अप्रत्यक्ष रूप से जायज ठहराने लगे। धर्म विशेष लोगों की मृत्यु पर मातम पर्यटन करने वाले नेताओं की चुप्पी तो अभी तक जारी है। लेकिन इस प्रकरण में एक चीज़ नई हुई, वह है एक नौकरशाह का बयान। बरेली के जिलाधिकारी राघवेंद्र विक्रम सिंह ने सोशल मीडिया में अपने पोस्ट पर स्वर्गीय चन्दन को ही दोषी ठहराया है। यह निश्चित ही अप्रत्यक्ष रूप से इस हत्या को जायज ठहरता है। बरेली के DM राघवेंद्र विक्रम सिंह के अनुसार: आपको बिना पुलिस के इजाज़त के मुस्लिम बहुल इलाकों से नहीं गुजरना च...
...Coming across different shades of life, compels to think in more colours... dream in many worlds! So, my posts reflect that departure n variation! एक विद्रोही की यात्रा...