शायद मैंने तुम्हे बताया था कि system के खिलाफ लड़ने कि सनक मुझे पहले से ही थी। लेकिन अर्जुन सिंह और कांग्रेस के आरक्षण वाले फरमान ने सबको झकझोर दिया। पैसे वाले लोगों को कम नंबर पर ही admission मिलने वाला था और बाकियों को अधिक नंबर लाने के बाद भी गली का धुल फांकने को मजबूर किया जा रहा था। गुस्सा आना स्वाभाविक ही था। फिर हम लोगों के पास आन्दोलन के अलावा कोई चारा भी नहीं था। वे बहुत महत्वपूर्ण दिन थे जब हम साथ साथ हवालात गए, water cannon की मार सहे। हजारों लोग साथ थे, सबको गुस्सा था, सब मेंआक्रोश था। किन्तु समय बीता, सब अपनी अपनी राह में चले... कुछ विदेश गए। कुछ ने MNCs की नौकरीपकड़ी। किन्तु तुम और तुम्हारे जैसे दीवानों ने तमाम बाधाओं के बावजूद जंग को जारी रखा। कौन जाता है बिहारमें बाढ़ आती है तो, किसको पड़ी है अगर नेता लोग अपराधी हैं... ये हमारा दीवानापन ही था हर्ष, की हम लोग की लड़ाई Youth For Equality के माध्यम से सालों तक चलती रही और आगे भी चलेगी।
मुझे अब भी याद है, देर रात को मैं फ़ोन कर के बोलता था- हर्ष भाई, कल हम लोग सभा रखे हैं आप जरा मीडीया वालों को बता दो और तुम भी चले आओ... या फिर - एक JNU का बन्दा बहुत बीमार है, वो है तो हम लोगो काविरोधी, लेकिन AIIMS में जरा उसकी मदद कर देना... या फिर हर्ष भाई! AISA वालों ने मेरे खिलाफ व्यक्तिगत पर्चे निकाले हैं, मैं क्या करूँ.... और भी बहुत सारे अनुरोध। और हर बार-- हाँ अमित, सब हो जायेगा घबराने की कोई जरुरत नहीं है... हम लोग हैं ना।
यार, आज हम तो हैं... तुम नहीं हो... शायद हम भी ना रहें... क्या फरक पड़ता है! तुम समझ सकते हो, जहाँ हरकोई विरोधी हो वहां अपनो को खोना सबसे अधिक खलता है। लड़ाई जारी रहेगी, मेरा वादा है... कोई साथ आये याना आये, मैं तो आखिरी दम तक लडूंगा... और हर मोड़ पर तुम्हारी याद आएगी, अब मैं तुम्हे फ़ोन नहीं करपाउँगा... नहीं मिल पाउँगा कार्यक्रम बनाने के लिए... लेकिन तुम हमेशा याद आओगे।
कल प्रोफ़ेसर खेतान ने तुम्हे याद करते हुए कहा :
तुम्हे लड़ाई आती है, इसलिए तुम हारोगे नहीं,
तुम्हे पैंतरे नहीं आते, इसलिए तुम जीतोगे नहीं।
डॉ हर्ष, आज तुम नहीं हो... कल मैं भी चला जाऊँगा... फिर भी शायद हमे आना पड़ेगा... बिना पैंतरे वाली लड़ाईलड़ने... क्यों की सबको लड़ाई नही आती!
मुझे अब भी याद है, देर रात को मैं फ़ोन कर के बोलता था- हर्ष भाई, कल हम लोग सभा रखे हैं आप जरा मीडीया वालों को बता दो और तुम भी चले आओ... या फिर - एक JNU का बन्दा बहुत बीमार है, वो है तो हम लोगो काविरोधी, लेकिन AIIMS में जरा उसकी मदद कर देना... या फिर हर्ष भाई! AISA वालों ने मेरे खिलाफ व्यक्तिगत पर्चे निकाले हैं, मैं क्या करूँ.... और भी बहुत सारे अनुरोध। और हर बार-- हाँ अमित, सब हो जायेगा घबराने की कोई जरुरत नहीं है... हम लोग हैं ना।
यार, आज हम तो हैं... तुम नहीं हो... शायद हम भी ना रहें... क्या फरक पड़ता है! तुम समझ सकते हो, जहाँ हरकोई विरोधी हो वहां अपनो को खोना सबसे अधिक खलता है। लड़ाई जारी रहेगी, मेरा वादा है... कोई साथ आये याना आये, मैं तो आखिरी दम तक लडूंगा... और हर मोड़ पर तुम्हारी याद आएगी, अब मैं तुम्हे फ़ोन नहीं करपाउँगा... नहीं मिल पाउँगा कार्यक्रम बनाने के लिए... लेकिन तुम हमेशा याद आओगे।
कल प्रोफ़ेसर खेतान ने तुम्हे याद करते हुए कहा :
तुम्हे लड़ाई आती है, इसलिए तुम हारोगे नहीं,
तुम्हे पैंतरे नहीं आते, इसलिए तुम जीतोगे नहीं।
डॉ हर्ष, आज तुम नहीं हो... कल मैं भी चला जाऊँगा... फिर भी शायद हमे आना पड़ेगा... बिना पैंतरे वाली लड़ाईलड़ने... क्यों की सबको लड़ाई नही आती!
Comments
It is very sad to hear of your mentor Dr. Harsh's untimely death.Seems like God also needs the ones the world needs.
May Dr. Harsh's soul rests in peace with God.
- Sucheta
Harsh was not a mentor of mine, He was a very close friend. Thats why his demise hurting the most!
May Dr. Harsh rest in peace.
He is safe in the arms of God.
Good people do not leave us empty.They leave us their goodness to follow through.Be inspired.
Stay strong buddy.
~hugs
- Coretta Christy
THE GREATEST COMPLIMENT YOU CAN GIVE A FRIEND/MENTOR IS TO REMEMBER AND SHARE THE PURPOSE AND LOVE. NAMASTAY