मैं वो नहीं जो आपने समझ रखा है... वो 'मैं' कोई और था, ये 'मैं' कोई और. तो हम आज की बात करते हैं - मुझे आज भी तन्हाईयाँ पसंद तो हैं लेकिन महफ़िल से कोई गुरेज नहीं. मैं ज़माने की बात तो करता हूँ आज भी, लेकिन खुद से अब परहेज नहीं. पहले बस सोचता था - अब समझ चूका हूँ, मैं हूँ तो दुनिया है नहीं तो बाकी सब कहानी है! - अमित © Amit 14 October 2010
...Coming across different shades of life, compels to think in more colours... dream in many worlds! So, my posts reflect that departure n variation! एक विद्रोही की यात्रा...