यहाँ जाने लोग कैसे जी लेते हैँ,
खीस उठती है मगर पी लेते हैँ...
सबकी यही आप बीती है,
झुके रहना यहाँ की नीति है.
हर तरफ जिँदे मूर्दे छाये हैँ,
कल के लुच्चे मंत्री बन आये हैँ
प्रजातंत्र का यह कैसा अंधेर है,
ऊपर वाले राजा बाकी सब बटेर हैँ...
प्रदेश मेँ रहना है तो अवसरवादी बनेँ,
बहुजनवादी नहीं तो समाजवादी बनेँ...
~ अमित
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खीस उठती है मगर पी लेते हैँ...
सबकी यही आप बीती है,
झुके रहना यहाँ की नीति है.
हर तरफ जिँदे मूर्दे छाये हैँ,
कल के लुच्चे मंत्री बन आये हैँ
प्रजातंत्र का यह कैसा अंधेर है,
ऊपर वाले राजा बाकी सब बटेर हैँ...
प्रदेश मेँ रहना है तो अवसरवादी बनेँ,
बहुजनवादी नहीं तो समाजवादी बनेँ...
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