मंगलयान की अभूतपूर्व सफलता "एक भारत, श्रेष्ठ भारत" की दिशा में एक लंबी छलांग है। भारतीय वैज्ञानिकों ने आज वह कारनामा कर दिखाया है, जिसकी कल्पना करना भी
कुछ साल पहले तक नामुमकिन था। अब तक दुनिया भर के कई देश कुल मिलाकर 51 बार
यह कोशिश कर चुके हैं, कि सबसे रहस्यमयी कहे जाने वाले मंगल ग्रह तक
पहुंचा जा सके, लेकिन सिर्फ 21 अभियानों को सफलता का मुंह देखना नसीब हुआ।
24 सितम्बर, 2014 के इसरो की प्रेस-विज्ञप्ति के अनुसार:
India's Mars Orbiter Spacecraft successfully entered into an orbit
around planet Mars today morning (September 24, 2014) by firing its 440
Newton Liquid Apogee Motor (LAM) along with eight smaller liquid
engines. This Liquid Engines firing operation which began at 07:17:32
Hrs IST lasted for 1388.67 seconds which changed the velocity
of the spacecraft by 1099 metre/sec.
[भारत का मंगलयान मिशन सफल हो गया है। मंगलयान आज मंगल ग्रह की कक्षा में
प्रवेश कर गया है। भारतीय समयानुसार सुबह 7.17.32 बजे के आसपास मंगलयान का लिक्विड इंजन चालू
किया गया जो 1388.67 सेकेंड तक चला और मंगलयान के वेग को 1099 मिटर प्रति सेकंड बढ़ा दिया।]
चित्र: मंगलयान मिशन का प्रक्षेप-पथ, इसरो के अनुसार
इस प्रकार भारत अपने मिशन में कामयाब होने के बाद मंगल पर सफल मिशन भेजने वाला
एशिया का पहला और दुनिया का चौथा देश हो गया है। मंगल ग्रह की यात्रा पर
पिछले साल 5 नवंबर को ये मंगलयान भेजा गया था, 11 महीनों की लंबी मेहनत के बाद भारत का
मंगलयान मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित हो गया है। इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बंगलुरु
के इसरो सेंटर में मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी
की मौजूदगी में मिली इस कामयाबी से वैज्ञानिकों के हौसले बुलंद है। इस गौरवपूर्ण अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "अब तक के मंगल अन्तरिक्ष अभियानों का रिकॉर्ड अनुकूल नहीं था,
क्योंकि दुनियाभर में अब तक हुए 51 में से सिर्फ 21 अभियान ही सफल हो पाए
थे... लेकिन हम प्रथम प्रयास में ही सफल रहे।"
मंगलयान अभियान की परिकल्पना, योजना तथा कार्यान्वयन इसरो द्वारा मात्र
450 करोड़ रुपये या छह करोड़ 70 लाख अमेरिकी डॉलर में किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर कहा, "हॉलीवुड की फिल्म बनाने में भी इससे ज़्यादा खर्चा आता है..." उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री पहले भी कह चुके
हैं कि हॉलीवुड की साइंस फिक्शन फिल्म 'ग्रैविटी' का बजट हमारे मंगलयान
मिशन से ज़्यादा था।
मंगल ग्रह के कृत्रिम उपग्रह के रूप में "मंगलयान" लाल ग्रह की सतह, संरचना, खनिज, तथा वातावरण का अध्ययन करेगा।
मंगलयान पर लगे पांच सौर-ऊर्जा संचालित उपकरण ऐसे आंकड़े एकत्र करेंगे,
जिनसे मंगल ग्रह के मौसम के बारे में तो जानकारी मिलेगी ही, यह भी पता
लगाया जा सकेगा कि उस पानी का क्या हुआ, जो माना जाता है कि कभी मंगल ग्रह
पर अच्छी मात्रा में मौजूद था। उच्च कोटि के रिमोट सेन्सिंग चित्रों से मंगलयान, मंगल ग्रह की धरातल का अध्ययन करने में बहुत उपयोगी साबित होगा। मंगलयान मंगल ग्रह से निकटतम स्थिति में आने पर मात्र 365 किलोमीटर दूर
होगा, जबकि सबसे दूर होने पर वह लाल ग्रह के धरातल से 80,000 किलोमीटर दूर
रहेगा।
सफलता पूर्वक कक्षा में स्थापित होने के बाद तक मंगलयान द्वारा मंगल ग्रह का पहला भेजा गया चित्र यह है:
मंगलयान द्वारा यह चित्र 7300 किलोमीटर की ऊंचाई से लिया गया। इस फोटो का क्षेत्रिक रीजोलुसन (spatial resolution) 376 मीटर है, तो धरातल का डिजिटलप्रारूप बनाने के लिए पर्याप्त है। भारत के अन्तरिक्ष अभियानों का यह एक दुर्लभ अवसरों में से एक है, जब सम्पूर्ण राष्ट्रकामयाबी की खुशियाँ मना रहा है। ऐसा उत्साही वातावरण बनाने में प्रधानमंत्री के व्यक्तिगत प्रयत्नो का बड़ा योगदान है।
इसरो के प्रमुख वैज्ञानिक मंगलयान के प्रथम चित्र को प्रधानमंत्री को प्रस्तुत करते हुये।
सम्पूर्ण राष्ट्र को गौरवान्वित कर एकजुट करने के लिए इसरो के समस्त वैज्ञानिकों एवं तकनीकी अधिकारियों का हार्दिक आभार। इस अवसर पर मेरी अपनी कविता की दो पंक्तियाँ:
आज हम शिखर पर हैं, पर मंज़िले कुछ और भी हैं,
कुछ दूरियाँ तय हुईं है, कुछ
सफर अब और भी है।
मुझे पूर्ण विश्वास है, एक बेहतर विश्व के निर्माण में भारत जल्द ही विश्व गुरु बनने वाला है। वंदे मातरम! जय हिन्द!
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