आँखियां भी अब निंदियारी हैं,
रात के इस घुप्प अँधेरे में।
लेकिन सपने जाग रहे हैं,
नयी कहानियाँ लिखने नए सबेरे से।
रात के इस घुप्प अँधेरे में।
लेकिन सपने जाग रहे हैं,
नयी कहानियाँ लिखने नए सबेरे से।
***
वे हमारे टूट कर
बिखरने का इंतज़ार करते रहे,
हम जितनी बार टूटे और मजबूत होते गए।
हम जितनी बार टूटे और मजबूत होते गए।
***
उजाले में तो सब साथ
होते हैं,
कद से बड़ी परछाइयाँ होती हैं...
अंधेरे में तो साथ भी नहीं दिखता,
खुद के हाथों से रुसवाईया होती हैं।
कद से बड़ी परछाइयाँ होती हैं...
अंधेरे में तो साथ भी नहीं दिखता,
खुद के हाथों से रुसवाईया होती हैं।
***
चलती साँसों की अठखेली है जिंदगी,
मुहब्बत तो यूँ ही बदनाम हो जाती है।
मुहब्बत तो यूँ ही बदनाम हो जाती है।
***
सच्चा प्यार तो एक स्वयंसिद्ध प्रमेय है,
शर्तों और स्वार्थों की सीमाओं से अजेय है।
शर्तों और स्वार्थों की सीमाओं से अजेय है।
***
रात के अँधेरे में जो न साथ रह सका,
वो भरी दोपहरी में छांव मांगता है...
***
वक़्त बहुत कम हो गया है लोगों के पास,
सबका हिसाब हाथों-हाथ होना चाहिए।
वक़्त बहुत कम हो गया है लोगों के पास,
सबका हिसाब हाथों-हाथ होना चाहिए।
~ अमित श्रीवास्तव
(C) (सर्वाधिकार सुरक्षित)
(C) (सर्वाधिकार सुरक्षित)
Comments