ज़न्नत की फ़िकर किसे है,
हमे तो आज बस जी लेने दो.
क्या पता मयखाना रहे न रहे,
दिल खोल कर बस पी लेने दो.
हमने तो देखा है सबेरा होते,
वक़्त दिन का तो जी लेने दो.
हसीं रात होगी या कयामत होगी,
सपने रंगीन तो सी लेने दो.
बड़े जुल्म-ए-सितम देखे हैं हमने
दो घड़ी तो बेफिक्री जी लेने दो.
क्या पता मयखाना रहे न रहे,
दिल खोल कर आज पी लेने दो.
- अमित श्रीवास्तव, २५ फ़रवरी २००९
© अमित Amit
हमे तो आज बस जी लेने दो.
क्या पता मयखाना रहे न रहे,
दिल खोल कर बस पी लेने दो.
हमने तो देखा है सबेरा होते,
वक़्त दिन का तो जी लेने दो.
हसीं रात होगी या कयामत होगी,
सपने रंगीन तो सी लेने दो.
बड़े जुल्म-ए-सितम देखे हैं हमने
दो घड़ी तो बेफिक्री जी लेने दो.
क्या पता मयखाना रहे न रहे,
दिल खोल कर आज पी लेने दो.
- अमित श्रीवास्तव, २५ फ़रवरी २००९
© अमित Amit
Comments
सपने रंगीन बुनने वाले जरा हकीकत की तरफ देख,
बाकि हैं जिदगी में रवानिअत अभी काफी,
जरा अपना नज़रिया बदल के तो देख.